41.1 हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा
दिया जायेगा।
41.2 देश की जिन क्षेत्रीय भाषाओँ की
अपनी वैज्ञानिक एवं सुगठित लिपियाँ हैं और जिनके विशाल शब्द-भण्डार हैं, उन सबको उप-राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाएगा।
41.3 राष्ट्रीय सरकार अपने कार्य
राष्ट्रभाषा में करेगी और उप-राष्ट्रभाषाओं में उनके अनुवाद जारी करेगी।
41.4 हिन्दीभाषी राज्य अपने कार्य हिन्दी
में करेंगे और राज्य की दूसरी प्रमुख भाषा (यह एक या दो हो सकती है) में उनके
अनुवाद जारी करेंगे।
41.5 अहिन्दीभाषी राज्य अपने कार्य
राज्य-भाषा में करेंगे और इनका अनुवाद राज्य की दूसरी प्रमुख भाषा तथा राष्ट्रभाषा
में जारी करेंगे।
41.6 अन्तरराष्ट्रीय व्यवहार में
हिन्दी का प्रयोग होगा और इनका अनुवाद सम्बन्धित देश की राष्ट्रभाषा अथवा अँग्रेजी
में जारी किया जाएगा।
41.7 उपर्युक्त नीतियों को लागू करने
के लिए बड़ी संख्या में अनुवादकों की आवश्यकता होगी- यह भी रोजगार का एक अवसर ही
पैदा करेगा।
41.8 देश की राष्ट्रभाषा और
उप-राष्ट्रभाषाओं का आपस में अनुवाद आसानी से हो सके- ऐसी कम्प्यूटर तकनीक विकसित
करने के लिए विशेषज्ञों को प्रेरित किया जाएगा।
41.9 हिन्दी को राष्ट्रीय एवं
अन्तरराष्ट्रीय रुप देने के लिए अन्यान्य भारतीय/गैर-भारतीय भाषाओं से प्रचलित
शब्दों को ज्यों-के-त्यों, या थोड़े बदलाव के साथ हिन्दी में
शामिल करने के लिए भाषाविदों की बाकायदे एक समिति गठित की जाएगी।
41.10 राष्ट्रभाषा के रुप में जिस
हिन्दी का प्रयोग होगा, उसमें लगभग 10 प्रतिशत तक अँग्रेजी एवं अन्यान्य गैर-भारतीय भाषाओं के प्रचलित
शब्द और 30 प्रतिशत तक उर्दू एवं अन्यान्य
भारतीय भाषाओं के प्रचलित शब्द प्रयोग किए जा सकेंगे।
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