रामसिंह ठाकुर ने आजाद हिन्द सरकार के राष्ट्रगीत (क़ौमी तराना) ”शुभ सुख-चैन की बरखा बरसे, भारत भाग है जागा...“ की धुन तैयार की थी। यह गीत ‘जन-गण-मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता...’ का रुपान्तरण था, जिसमें संस्कृतनिष्ठ बँगला
शब्दों के स्थान पर सरल हिन्दुस्तानी शब्दों का प्रयोग किया गया था और ‘अधिनायक’ एवं ‘भारत भाग्यविधाता’-शब्दों से परहेज किया था।
रामसिंह ठाकुर द्वारा तैयार धुन पर ही आज का ‘जन-गण-मन...’ गाया जाता है। जैसी कि जानकारी
मिलती है, स्वयं नेताजी ने कैप्टन
आबिद हसन के साथ मिलकर इस गीत को 1941 में लिखा था- जर्मनी में, मगर तब इसमें अशुद्धियाँ थीं।
1943 में सिंगापुर में मुमताज हुसैन ने इसे शुद्ध किया और गीत का रुप दिया। सुधी
पाठकों की इस गीत में रुचि हो सकती है, अतः गीत के तीन में से पहले चरण
को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा हैः
शुभ सुख चैन की बरखा बरसे
भारत भाग है जागा!
पंजाब सिंध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंगा
चंचल-सागर विन्ध्य हिमालय
नीला जमुना गंगा
तेरे नित गुण गाये
तुझसे जीवन पाये
सब जन पाये आशा।
सूरज बनकर जग पर चमके
भारत नाम सुहाना।
जय हो! जय हो! जय हो!
जय जय जय जय जय हो!!
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