37.1 जिन भारतीय भाषाओं की अपनी ‘वैज्ञानिक एवं सुगठित’ लिपियाँ हैं और जिनके शब्द-भण्डार विशाल हैं, उन सबको शिक्षा-परीक्षा का माध्यम बनाया जाएगा- इसके लिए सभी पाठ्यक्रमों का इन भाषाओं में अनुवाद करवाया जाएगा।
37.2 अंग्रेजी भाषा/रोमन लिपि को अन्तरराष्ट्रीय भाषा/लिपि तथा एक साहित्य के रूप में पढ़ाया जायेगा, मगर इसे शिक्षा-परीक्षा का माध्यम नही बनाया जायेगा।
37.3 उच्च विद्यालयों में (यानि 7वीं से 12वीं कक्षा तक) यूनिफॉर्म और सैन्य शिक्षा को आवश्यक बनाया जायेगा- हालाँकि सैन्य शिक्षा बहुत कड़ाई से नहीं दी जायेगी।
37.4 उच्च विद्यालयों में ही कुछ अतिरिक्त विषयों की पुस्तकें लागू की जायेंगी, जिनकी परीक्षा नही ली जायेगी; उन्हें निम्न प्रकार से पढ़ाया जाएगा- 7वीं में ललित कला, 8वीं में योगासन एवं प्राकृतिक चिकित्सा, 9वीं में प्रमुख भारतीय भाषाओं का न्यूनतम व्यवहारिक ज्ञान, 10वीं में पर्यावरण संरक्षण, 11वीं में यौन शिक्षा और 12वीं में दुनिया भर के विषयों पर नवीनतम एवं आधुनिकतम जानकारी देने वाली एक वार्षिक ‘चयनिका’ (‘डाइजेस्ट’)।
37.5 भारतीय पृष्ठभूमि पर एवं भारतीय परिवेश में भारतीय दृष्टिकोण से सहज पाठ्यक्रमों की रचना की जायेगी।
37.6 पाठ्य-पुस्तकों की रचना इस तरह से की जायेगी कि विद्यार्थियों पर ‘बस्ते का बोझ’ ज्यादा न पड़े- जैसे कि 3 विषयों की ‘पूर्वाद्ध’ शिक्षण-सामग्री की एक ही पुस्तक बनायी जा सकती है।
37.7 20 वर्ष और इससे पुरानी रचनायें ही पाठ्य-पुस्तकों में- खासकर, साहित्य की- शामिल की जायेंगी।
37.8 विद्यालयों एवं उच्च विद्यालयों में संस्कृत को सिर्फ ‘पढ़ कर समझने’ की शिक्षा दी जायेगी, इसके व्याकरण और इसमें रचना की शिक्षा महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में दी जाएगी (जो पढ़ना चाहे)।
37.9 संस्कृत का वैकल्पिक विषय फारसी होगा और इसके लिए भी संस्कृत वाली उपर्युक्त नीति अपनायी जा सकती है।
37.10 निजी संस्थानों, ग्राम-पंचायतों, नगर तथा महानगर परिषदों को 12 वीं तक और राज्य सरकारों को स्नातकोत्तर स्तर तक की समानान्तर शिक्षा व्यवस्था कायम करने की छूट होगी।
37.11 शिशुओं के लिए शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेवारी स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं को इस सलाह के साथ सौंपी जायेगी की वे यह शिक्षा बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही दें।
37.12 बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने की इच्छा रखने वाली संस्थाओं से कहा जायेगा कि वे इसकी व्यवस्था सुबह या शाम ऐसे समय में करें, जिससे कि बच्चों की विद्यालयी शिक्षा बाधित न हो।
37.13 ऊपर क्रमांक 37.4 में जिन ‘अतिरिक्त’ पुस्तकों का जिक्र है, उन्हें बाजार में भी उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि आम लोग भी इनका लाभ उठा सकें।
37.2 अंग्रेजी भाषा/रोमन लिपि को अन्तरराष्ट्रीय भाषा/लिपि तथा एक साहित्य के रूप में पढ़ाया जायेगा, मगर इसे शिक्षा-परीक्षा का माध्यम नही बनाया जायेगा।
37.3 उच्च विद्यालयों में (यानि 7वीं से 12वीं कक्षा तक) यूनिफॉर्म और सैन्य शिक्षा को आवश्यक बनाया जायेगा- हालाँकि सैन्य शिक्षा बहुत कड़ाई से नहीं दी जायेगी।
37.4 उच्च विद्यालयों में ही कुछ अतिरिक्त विषयों की पुस्तकें लागू की जायेंगी, जिनकी परीक्षा नही ली जायेगी; उन्हें निम्न प्रकार से पढ़ाया जाएगा- 7वीं में ललित कला, 8वीं में योगासन एवं प्राकृतिक चिकित्सा, 9वीं में प्रमुख भारतीय भाषाओं का न्यूनतम व्यवहारिक ज्ञान, 10वीं में पर्यावरण संरक्षण, 11वीं में यौन शिक्षा और 12वीं में दुनिया भर के विषयों पर नवीनतम एवं आधुनिकतम जानकारी देने वाली एक वार्षिक ‘चयनिका’ (‘डाइजेस्ट’)।
37.5 भारतीय पृष्ठभूमि पर एवं भारतीय परिवेश में भारतीय दृष्टिकोण से सहज पाठ्यक्रमों की रचना की जायेगी।
37.6 पाठ्य-पुस्तकों की रचना इस तरह से की जायेगी कि विद्यार्थियों पर ‘बस्ते का बोझ’ ज्यादा न पड़े- जैसे कि 3 विषयों की ‘पूर्वाद्ध’ शिक्षण-सामग्री की एक ही पुस्तक बनायी जा सकती है।
37.7 20 वर्ष और इससे पुरानी रचनायें ही पाठ्य-पुस्तकों में- खासकर, साहित्य की- शामिल की जायेंगी।
37.8 विद्यालयों एवं उच्च विद्यालयों में संस्कृत को सिर्फ ‘पढ़ कर समझने’ की शिक्षा दी जायेगी, इसके व्याकरण और इसमें रचना की शिक्षा महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में दी जाएगी (जो पढ़ना चाहे)।
37.9 संस्कृत का वैकल्पिक विषय फारसी होगा और इसके लिए भी संस्कृत वाली उपर्युक्त नीति अपनायी जा सकती है।
37.10 निजी संस्थानों, ग्राम-पंचायतों, नगर तथा महानगर परिषदों को 12 वीं तक और राज्य सरकारों को स्नातकोत्तर स्तर तक की समानान्तर शिक्षा व्यवस्था कायम करने की छूट होगी।
37.11 शिशुओं के लिए शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेवारी स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं को इस सलाह के साथ सौंपी जायेगी की वे यह शिक्षा बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही दें।
37.12 बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने की इच्छा रखने वाली संस्थाओं से कहा जायेगा कि वे इसकी व्यवस्था सुबह या शाम ऐसे समय में करें, जिससे कि बच्चों की विद्यालयी शिक्षा बाधित न हो।
37.13 ऊपर क्रमांक 37.4 में जिन ‘अतिरिक्त’ पुस्तकों का जिक्र है, उन्हें बाजार में भी उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि आम लोग भी इनका लाभ उठा सकें।
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