(क) कायदे-कानूनों का उल्लंघन, जिससे किसी को नुकसान नही पहुँचता हो; सजा- चेतावनी या जुर्माने से लेकर 1 वर्ष से कम की कैद।
(ख) व्यक्ति, परिवार या संस्था को नुकसान पहुंचाने वाले अपराध; सजा- 1 से 3 वर्ष तक की कैद।
(ग) समाज, संस्कृति या सभ्यता को नुकसान पहुँचाने वाले अपराध; सजा- 4 से 6 वर्ष तक की कैद।
(घ) राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय एकता या राष्ट्रीय सम्पत्ति (सरकारी खजाना सहित) को नुकसान पहुँचाने वाले अपराधय; सजा- 7 से 9 वर्ष तक की कैद।
(ङ) मानवता, पर्यावरण या जैव-विविधता को नुकसान पहुँचाने वाले अपराध; सजा- 10 से 12 वर्ष तक की कैद।
47.2 एक ही अपराध जब एक से अधिक श्रेणियों के अर्न्तगत आये, तो सजा भी जोड़कर दी जायेगी।
47.3 अदालत में अपना दोष स्वयं स्वीकार करनेवाले दोषियों को सजा में रियायत देने का ‘विवेकाधिकार’ न्यायाधीशों को प्राप्त होगा। (इस विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते समय न्यायाधीशों को ‘जनभावना’ का भी ध्यान रखना चाहिए।)
47.4 ऊपर जिन सजाओं का जिक्र है, वे उन नागरिकों पर लागू होंगी, जिन्हें ”सरकारी वेतन“ नहीं मिलता; सरकारी वेतन पाने वाले दोषियों के मामले में उन्हीं सजाओं को निम्न अनुपात में बढ़ाने का अधिकार न्यायालय के पास होगाः-
(क) ‘कर्मचारियों’ के मामले में दोगुना;
(ख) ‘अधिकारियों’ के मामले में तीनगुना;
(ग) ‘उच्चाधिकारियों’ के मामले में चारगुना, और
(घ) ‘राजनेताओं’ के मामले में पाँचगुना।
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