अगर नेताजी सुभाष “दिल्ली पहुँच” जाते, तो जो तीन काम वे सबसे पहले करते, वे होते- 1. “औपनिवेशिक” शासन व्यवस्था को पूरी तरह से हटाकर समाजवादी किस्म की एक भारतीय व्यवस्था कायम करना, 2. देश के गद्दारों को राजनीति की मुख्यधारा से अलग करना (शायद वे उन्हें निर्वासित ही कर देते) और 3. भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सेना के सिर से “ब्रिटिश हैंग-ओवर” का भूत (अधिकारियों द्वारा जनता एवं मातहतों को गुलाम समझना) उतारना। इसके बाद वे निम्न पाँच काम करते- 1. दस (या बीस) वर्षों के अन्दर हर भारतीय को सुसभ्य, सुशिक्षित, सुस्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना, 2. हर हाथ को रोजगार देते हुए दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर को शालीन बनाना, 3. गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को एक जायज सीमा के अन्दर नियंत्रित रखना, 4. देशवासियों को राजनीतिक रूप से इतना जागरूक बनाना कि शासन-प्रशासन के लोग उन पर हावी न हो सकें और 5. प्रत्येक देशवासी के अन्दर “भारतीयता” के अहसास को जगाना। इसके बाद ही वे नागरिकों के हाथों में “मताधिकार” का अस्त्र सौंपते। देखा जाय, तो यह अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और इसी आधार पर यह दसवर्षीय “भारतीय राष्ट्रीय सरकार” का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जा रहा है।

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

9. रुपये का मूल्य

 9.1  निर्यात को सरकारी प्रोत्साहन/संरक्षण न देकर; विलासिता की वस्तुओं की आयात पर कर बढ़ाकर; विश्व बैंक आदि की गुलामी को त्यागकर (क्रमांक 10.3) तथा आर्थिक विशेषज्ञों से सलाह लेकर रुपये के मूल्यको 1980 या 1960 के स्तर पर (हो सका, तो 1940 के स्तर पर) पहुँचाने की कोशिश की जायेगी।

9.2  रुपये का मूल्य बढ़ाने के लिए अगर स्वर्ण भण्डारमें बढ़ोतरी की जरूरत पड़ी, तो उसके लिए दो उपाय अपनाये जायेंगे-

(क) देश भर में विशेष अभियान चलाकर लॉकरों तथा घरों से कालेधन के रूप में जमा सोने को जब्त कर उसे सरकारी स्वर्णभण्डार तक पहुँचाया जायेगा (क्रमांक 10.5 में लॉकरकी गोपनीयतासमाप्त करने की बात कही जा रही है);

(ख) समृद्ध मन्दिरों/ट्रस्टों से अनुरोध किया जायेगा कि वे अपने स्वर्णभण्डार का 33 प्रतिशत अंश देश के नाम कर दें (इस अंश को स्थानान्तरित नहीं किया जायेगा, बल्कि मन्दिर/ट्रस्ट के ही भण्डार में इसे अलग कक्ष या ट्रंक में रखवाया जायेगा)।

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