अलगाववाद
2.1 देश के ”नागरिक क्षेत्रों“ में तैनात सैनिकों/अर्द्धसैनिकों को वापस बैरकों में बुला लिया जायेगा- चाहे वे क्षेत्र मणिपुर के हों या काश्मीर के, या देश के किसी भी हिस्से के।
2.2 देश के सभी अलगाववादी, अतिवादी एवं हथियारबन्द समूहों के खिलाफ पुलिस/सैन्य कार्रवाई स्थगित करते हुए उनसे यह पूछा जायेगा कि वे भारत-भारतीय-भारतीयता के प्रति सम्मान एवं प्रेम की भावना रखते हैं या नहीं- ?
2.3 जिन समूहों का उत्तर ‘हाँ’ में होगा, उनके नेताओं से बातचीत की जायेगी और संविधान के नीति-निदेशक तत्वों तथा प्रस्तुत घोषणापत्र की घोषणाओं के दायरे में— जहाँ तक सम्भव होगा— उनकी माँगों को मान लिया जायेगा।
2.4 जिन समूहों का उत्तर ‘नहीं’ में होगा, या जो उत्तर नहीं देंगे, उनपर प्रतिबन्ध लगाया जायेगा और उनके खिलाफ यथोचित कार्रवाई की जायेगी।
आतंकवाद
2.5 आतंकवाद के खिलाफ एक एकीकृत कमान का गठन किया जायेगा, जिसके अन्दर गुप्तचर विभाग, कमाण्डो बल तथा फास्ट ट्रैक कोर्ट इत्यादि होंगे- इस प्रकार, अपनी खुद की सुरक्षा/प्रतिरक्षा व्यवस्था, सूचना तंत्र तथा आतंकवादियों को सजा देने की व्यवस्था को चाक-चौबन्द एवं चुस्त-दुरुस्त बनाया जायेगा।
2.6 आतंकवादियों के साथ कभी भी, किसी भी कीमत पर बातचीत या समझौता नहीं करने की नीति अपनायी जायेगी।
भेद-भाव
2.7 चूँकि राष्ट्रीय सरकार अपने सभी नागरिकों को एक समान मानेगी, अतः जो कोई भी अपने विचारों या कार्यों से देश के अन्दर जन्म, धर्म, लिंग, रंग, भाषा, क्षेत्र इत्यादि के आधार पर किसी भी तरह का भेद-भाव, ऊँच-नीच, उन्माद, वैमनस्य इत्यादि पैदा करने की कोशिश करेगा— वह बाद में अगर क्षमायाचना करता है— तो उसे पहली बार में चेतावनी, दूसरी बार में जुर्माने तथा तीसरी बार में 3 महीनों के ‘निर्वासन’ की सजा दी जायेगी और अगर वह क्षमायाचना से इन्कार करता है और अपने दकियानूसी एवं कट्टरपन्थी विचारों पर कायम रहता है, तो उसे पहली बार में ही ‘निर्वासन’ की सजा दी जायेगी, जो उसके द्वारा क्षमायाचना करने तक जारी रहेगी।
2.8 कहने की आवश्यकता नहीं, निर्वासन के लिए या तो अण्डमान-निकोबार द्वीपसमूह के एक निर्जन टापू को चुना जायेगा, जहाँ जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं उपलब्ध रहेंगी— पर्यावरण को नुकसान पहुँचाये बिना; या फिर, अण्डमान सागर में किसी पुराने जलजहाज को जेलखाने का रूप दिया जायेगा।
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