26.1 ‘भारतीय राष्ट्रीय चुनाव आयोग’ में बड़ी संख्या में पूर्णकालिक कर्मियों की नियुक्ति की जायेगी।
26.2 ‘भारतीय राष्ट्रीय नागरिक पहचानपत्र’ (विस्तृत व्याख्या अध्याय- 53 में) बनाने तथा उसके नवीणीकरण की जिम्मेवारी भी चुनाव आयोग को ही सौंपी जायेगी, जिसके लिए प्रखण्ड/नगर/उपमहानगर स्तर पर उसके कार्यालय होंगे।
26.3 प्रत्येक पंचायत एवं वार्ड में चुनाव आयोग के ”पूर्णकालिक“ मतदान केन्द्र होंगे, जिसमें लगी अत्याधुनिक वोटिंग मशीनें न केवल कम्प्यूटर एवं प्रिण्टर से, बल्कि (इण्टरनेट के माध्यम से) जिला/राज्य-स्तरीय/राष्ट्रीय ‘मतगणना केन्द्रों’ से भी जुड़ी होंगी। (ध्यान रहे, प्रखण्ड/नगर/उपमहानगर स्तर के जनसंसदों के चुनाव प्रतिवर्ष हुआ करेंगे, इसलिए “पूर्णकालिक” मतदान केन्द्रों का होना जरूरी है, वैसे, आवश्यकतानुसार कुछ तात्कालिक एवं चलायमान मतदान केन्द्र भी बनाये जा सकते हैं।)
26.4 प्रत्येक मतदाता द्वारा मतदान के बाद परिणाम दर्शाती दो पर्चियाँ प्रिण्ट होकर निकलेंगी, जिनमें से एक पर्ची (जिस पर इन्सानी आकृति छपी होगी) मतदाता अपने पास रखेगा और दूसरी पर्ची (जिस पर मतपेटी की आकृति छपी होगी) को वह मतपेटी में डालेगा। (विशेष: 1. इन पर्चियों पर मतदान की तारीख और समय को भी छापा जा सकता है 2. कहने की आवश्यकता नहीं कि मतदाता अपनी वाली पर्ची को वहीं पर नष्ट कर सकेगा।)
26.5 चुनाव की सारी व्यवस्था कुछ ऐसी होगी कि चुनाव सम्पन्न होने के अधिकतम छह घण्टों के अन्दर मतगणना केन्द्रों द्वारा परिणामों की घोषणा की जा सके।
26.6 परिणाम घोषित होने के चौबीस घण्टों के अन्दर अगर कोई उम्मीदवार या पाँच से अधिक मतदाताओं का समूह असंतुष्टी जाहिर करते हुए और नाममात्र का एक शुल्क जमा करते हुए आपत्ति दर्ज करता है, तो आपत्तिकर्ताओं एवं न्यायपालिका द्वारा नियुक्त अधिकारियों के सामने मतपेटी के मतपत्रों की गिनती की जायेगी और इस गिनती के परिणाम को अन्तिम माना जायेगा।
26.7 देश का कोई भी व्यक्ति, समूह या संगठन अगर इन वोटिंग मशीनों, इनसे जुड़े कम्प्युटरों तथा इनके प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर इत्यादि की जाँच करना चाहे, तो वह कोई भी चुनाव शुरू होने के एक घण्टे पहले तक इनकी जाँच कर सकेगा— जाँच के दौरान मतदान केन्द्र से लेकर मतगणना केन्द्र तक के पदाधिकारी पूर्ण सहयोग करने के लिए बाध्य होंगे।
नकारात्मक मतदान
26.8 देश के ‘पढ़े-लिखे’ मतदाताओं को ‘नकारात्मक मतदान’ का ”विशेष मताधिकार“ प्राप्त होगा, जिसके तहत मतदान केन्द्रों में ‘सफेद मतदान मशीन’ के बगल में ‘काले रंग की नकारात्मक मतदान मशीन’ भी रखी होगी।
26.9 जाहिर है कि नकारात्मक मतदान की प्रक्रिया का प्रचार-प्रसार नहीं किया जायेगा, बल्कि कम्प्युटर की स्क्रीन पर आने वाले निर्देशों को ‘पढ़कर’ इस मतदान को किया जा सकेगा— इस प्रकार, सिर्फ शिक्षित मतदाता ही इसका प्रयोग कर सकेंगे।
26.10 नकारात्मक मतदान का ‘कारण’ भी पूछा जायेगा, जिसके जवाब में दिये गये विकल्पों (जैसे, मतदाता उम्मीदवार को भ्रष्ट, या बाहुबली, या चरित्रहीन इत्यादि में से क्या मानता है) में से किसी एक को चुनना होगा; या फिर, अपना एक कारण टाईप करना होगा।
26.11 चुनाव आयोग ‘नकारात्मक मतदान’ के परिणाम को न्यायपालिका के पास निम्न सिफारिश के साथ भेजेगाः 10 प्रतिशत ‘नकारात्मक’ वोट पाने वाले उम्मीदवार को 5 वर्षों के लिए, 20 प्रतिशत पाने वालों को 10 वर्षों के लिए, 30 प्रतिशत पाने वालों को 15 वर्षों के लिए, 40 प्रतिशत पाने वालों को 20 वर्षों के लिए और 50 प्रतिशत ‘नकारात्मक’ वोट पाने वाले उम्मीदवार को जीवन भर के लिए भारतीय (चुनावी) राजनीति से दूर कर दिया जाय।
26.12 अब यह न्यायपालिका पर निर्भर करेगा कि वह चुनाव आयोग की सिफारिश तथा उम्मीदवार द्वारा दी गयी सफाई के आधार पर उम्मीदवार राजनेता को राजनीति से दूर रखने का निर्णय लेती है, या नहीं लेती है।
बाध्यताएं
26.11 पंचायत/वार्ड के प्रतिनिधि (यानि जनसंसद के सदस्य) बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष, विधायक बनने के लिए 30 वर्ष, सांसद बनने के लिए 35 वर्ष, मुख्यमंत्री के लिए 40 वर्ष, प्रधानमंत्री बनने के लिए 45 वर्ष तथा राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 50 वर्ष निर्धारित किया जायेगा।
26.12 इसी प्रकार, न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को भी अनिवार्य बनाया जायेगाः पंचायत/वार्ड का प्रतिनिधि बनने के लिए 8वीं पास; विधायक बनने के लिए 10वीं पास; सांसद बनने के लिए इण्टर (12वीं) पास; मुख्यमंत्री के लिए स्नातक (बैचेलर डिग्री); प्रधानमंत्री बनने के लिए स्नातकोत्तर (मास्टर डिग्री), तथा राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति बनने के लिए डॉक्टरेट डिग्री। (जाहिर है कि किसी विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की गयी ”मानद“ (बैचलर, मास्टर और डॉक्टरेट) उपाधि को भी स्वीकार किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसी डिग्रियों को प्रदान करने के लिए एक ‘आधार’ जरूर होना चाहिए।)
26.13 अगर किसी परिवार के 2 सदस्य पहले से सक्रिय राजनीति में हों, तो उस परिवार के तीसरे सदस्य को चुनाव नहीं लड़ने दिया जायेगा।
26.14 राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के लिए अधिकतम 2 कार्यकल, प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री के लिए अधिकतम 3 कार्यकाल, सांसदों एवं विधायकों के लिए 4 तथा जनसंसद के सदस्यों के लिए अधिकतम 5 कार्यकाल (इनका एक कार्यकाल 3 साल का होगा) तय किया जायेगा।
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