अगर नेताजी सुभाष “दिल्ली पहुँच” जाते, तो जो तीन काम वे सबसे पहले करते, वे होते- 1. “औपनिवेशिक” शासन व्यवस्था को पूरी तरह से हटाकर समाजवादी किस्म की एक भारतीय व्यवस्था कायम करना, 2. देश के गद्दारों को राजनीति की मुख्यधारा से अलग करना (शायद वे उन्हें निर्वासित ही कर देते) और 3. भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सेना के सिर से “ब्रिटिश हैंग-ओवर” का भूत (अधिकारियों द्वारा जनता एवं मातहतों को गुलाम समझने की मानसिकता) उतारना। इसके बाद वे निम्न पाँच काम करते- 1. दस (या बीस) वर्षों के अन्दर हर भारतीय को सुसभ्य, सुशिक्षित, सुस्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना, 2. हर हाथ को रोजगार देते हुए दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर को शालीन बनाना, 3. गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को एक जायज सीमा के अन्दर नियंत्रित रखना, 4. देशवासियों को राजनीतिक रूप से इतना जागरूक बनाना कि शासन-प्रशासन के लोग उन पर हावी न हो सकें और 5. प्रत्येक देशवासी के अन्दर “भारतीयता” के अहसास को जगाना। इसके बाद ही वे नागरिकों के हाथों में “मताधिकार” का अस्त्र सौंपते। देखा जाय, तो यह अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और इसी आधार पर यह दसवर्षीय “भारतीय राष्ट्रीय सरकार” का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जा रहा है।

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

36. शिक्षाः ढाँचा

36.1 राष्ट्रीय सरकार की ओर से जो ‘भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली’ लागू होगी, वह चार स्तरीय होगीः

(क) पहली से छठी तक विद्यालयों में— प्रत्येक पंचायत/वार्ड में कम-से-कम एक विद्यालय,

(ख) सातवीं से बारहवीं तक उच्च विद्यालयों में— प्रत्येक थाने में कम-से-कम एक उच्च विद्यालय (अर्थात् एक प्रखण्ड/नगर/उपमहानगर में कम-से-कम 9 उच्च विद्यालय),

(ग) स्नातक एवं स्नातकोत्तर की शिक्षा महाविद्यालयों में— प्रत्येक प्रखण्ड/नगर/उपमहानगर में कम-से-कम एक महाविद्यलय (अर्थात् एक जिले/महानगर में कम-से-कम 9 महाविद्यालय) और

(घ) इससे ऊँची शिक्षा— शोध आदि, विश्वविद्यालयों में— प्रत्येक जिला/महानगर में कम-से-कम एक विश्वविद्यालय (अर्थात् प्रत्येक राज्य में कम-से-कम 9 विश्वविद्यालय)।

36.2 प्रत्येक जिले/महानगर में विश्वविद्यालय का जो कैम्पस होगा, उसमें एक-एक कृषि, चिकित्सा, अभियांत्रिकी, तकनीकी, ललित कला, कानून इत्यादि विशेष विषयों के महाविद्यालय भी मौजूद होंगे।

36.3 शैक्षणिक परीक्षाओं में विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण नही किया जाएगा, बल्कि प्राप्तांक के आधार पर निम्न श्रेणियों के साथ सभी को उत्तीर्ण किया जाएगाः निम्न— 10 प्रतिशत तक, निम्नश्री— 11 से 20 प्रतिशत, औसत— 21 से 30 प्रतिशत, औसतश्री— 31 से 40 प्रतिशत, मध्यम— 41 से 50 प्रतिशत, मध्यमश्री— 51 से 60 प्रतिशत, उत्तम— 61 से 70 प्रतिशत, उत्तमश्री— 71 से 80 प्रतिशत, मेधा— 81 से 90 प्रतिशत, मेधाश्री— 91 से 100 प्रतिशत। (श्रीके स्थान पर बोलचाल में प्लसशब्द का प्रयोग किया जा सकता है।)

36.4 शैक्षणिक परीक्षाओं में प्रश्नपत्र तैयार करने के लिए भी बाकायदे एक नीति बनायी जायेगी, जिसके तहत 30 प्रतिशत अंकों के लिए सहज प्रश्न, 30 प्रतिशत अंकों के लिए मध्यम श्रेणी के प्रश्न, 30 प्रतिशत अंकों के लिए कठिन प्रश्न और 10 प्रतिशत अंकों के लिए बहुत कठिन प्रश्न पूछे जा सकेंगे।

36.5 सामाजार्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के विद्यार्थी शिक्षा, परीक्षा, पाठ्य-पुस्तक, मध्याह्न भोजन तथा यूनिफॉर्म के खर्च का 5 प्रतिशत, मध्यम आयवर्ग वाले 50 प्रतिशत और उच्च आयवर्ग वाले 90 प्रतिशत शुल्क वहन करेंगे।

36.6 यहाँ भी चिकित्सा-जैसी नीति (क्रमांक 31.6) अपनायी जायेगी— विद्यार्थियों को एक खाता संख्याके साथ रसीद दे दी जायेगी और यह उम्मीद रखी जायेगी कि या तो विद्यार्थियों के अभिभावक शुल्क जमा कर देंगे, या फिर विद्यार्थी जब खुद कमाना शुरू करेंगे, तब ईमानदारी से स्वयं ही सारे शुल्क चुका देंगे।

36.7 सामाजार्थिक रूप से पिछड़े वर्ग तथा देश के पिछड़े क्षेत्रों के विद्यार्थियों/परीक्षार्थियों को नागरिक प्रतियोगिता परीक्षाओं में 10-10 प्रतिशत अंकों का ग्रेस दिया जाएगा। (अगर एक विद्यार्थी सामाजार्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से है और वह देश के पिछड़े क्षेत्र का भी निवासी है, तो स्वाभाविक रूप से उसे कुल 20 प्रतिशत अंकों का ग्रेस मिलेगा।)

36.8 देशाटन को शिक्षा का आवश्यक अंग बनाया जाएगा और इसके लिए देशाटनरेलवे ट्रैक (क्रमांक- 51.4) एवं साइकिल ट्रैक (क्रमांक- 52.4) का निर्माण किया जाएगा।

36.9 देश-विदेश के विद्यार्थियों को भारतीय इतिहास, सभ्यता, संस्कृति, कला, दर्शन, ज्ञान, विज्ञान, भाषा, संगीत, स्थापत्य इत्यादि विषयों पर उच्च शिक्षा एवं शोध आदि का अवसर प्रदान करने के लिए एक विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी, जहाँ से दुनिया की सभी प्रमुख भाषाओं में इन्हीं विषयों पर पत्राचार/ऑनलाईन पाठ्यक्रम भी चलाये जायेंगे।

36.10 शैक्षणिक वर्ष शक संवत् से (मार्च-अप्रैल में) प्रारम्भ होंगे, शिक्षण सामग्री को दो हिस्सों में बांटकर 60 प्रतिशत सामग्री की पूर्वार्द्धपरीक्षा शरत काल में दशहरा से पहले और बाकी बची 40 प्रतिशत शिक्षण सामग्री की उत्तरार्द्धपरीक्षा बसन्त काल में होली से पहले ली जाएगी।

36.11 पूर्वार्द्धपरीक्षा के बाद 40 दिनों की और उत्तरार्द्धपरीक्षा के बाद 20 दिनों की छुट्टी दी जाएगी; इसके अलावे विद्यालय प्रशासन के हाथों में खराब मौसम (अत्यधिक शीत, ग्रीष्म या वर्षा) और आकस्मिक मौकों के लिए कुल 40 दिनों की छुट्टियाँ रहेंगी। (अगर रविवार की छुट्टियों को भी इनमे जोड़ दिया जाय, तो भी वर्ष में 200 दिनों की पढ़ाई सुनिश्चित की जा सकती है।)

36.12 शिक्षा को शिक्षाविदों तथा प्रबुद्ध लेखकों/कवियों की एक ‘भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा-दीक्षा समिति’ के अधीन रखा जाएगा।

36.13 यह समिति शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था करने के अलावे—

(क) एक भारतीय भाषा के उत्कृष्ट साहित्य का अन्यान्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद की व्यवस्था करेगी और

(ख) स्थानीय किशोर/युवा संघों द्वारा संचालित पुस्तकालयों को रियायती दरों पर पुस्तकें उपलब्ध कराएगी।

36.14 शैक्षणिक संस्थाओं में विद्यार्थियों के पाँच समूह (हाऊस) हुआ करेंगे— क्षितिज, जल, पावक, गगन और समीर।

36.15 स्वतंत्र रूप से एक मध्याह्न भोजन विभाग का गठन किया जायेगा, जो शैक्षणिक संस्थाओं में भोजनालय तथा भोजन की व्यवस्था करेगा— इसमें शिक्षकों व छात्रों की उपस्थिति सिर्फ मेस मेम्बरके रूप में रहेगी। (जाहिर है, शैक्षणिक सत्र की शुरुआत व अन्त में सहभोज हुआ करेंगे।)

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