अध्याय- 51 के क्रमांक 51.5(क) में 100 किलोमीटर की दूरी के बीच चलने तथा प्रत्येक स्टेशन/हॉल्ट पर रुकने वाली जिस लाल ट्रेन की बात कही गयी है, उसकी निम्न विशेषताएं होंगीः
क) यह रेल पूर्णरुपेण ”फ्लाईओवर“ होगी— यानि खम्भों पर चलेगी।
ख) यह रेल छोटी लाईन, ट्राम, या टॉय ट्रेन-जैसी हो सकती है, इसकी पटरियाँ दोहरी होंगी और इस रेल को एक पारदर्शी नली (ट्यूब) के अन्दर चलाने के बारे में भी सोचा जा सकता है।
ग) प्रत्येक जिला शहर (और बेशक, कुछ प्रमुख शहर) के चारों तरफ रेल ट्रैक का एक वलय होगा और प्रत्येक वलय अलग-अलग रेल ट्रैक से आस-पास के (कम-से-कम) चार ऐसे ही वलयों (यानि शहरों) से जुड़ा होगा।
ङ) गन्तव्य शहर पर पहुँचने के बाद वलय वाले ट्रैक पर एक चक्कर लगाकर यह ट्रेन वापसी की यात्रा करेगी। (यानि दो शहरों के बीच यह एक ‘शटल’ ट्रेन होगी।)
च) जिस ट्रैक पर यात्रियों का यातायात ज्यादा होगा, उस अनुपात में इन ट्रेनों की बारम्बारता (फ्रीक्वेन्सी) भी ज्यादा होगी।
ज) ट्रैक के पारदर्शी ‘ट्यूब’ के ऊपरी हिस्से को ‘सोलर प्लेट’ से बनाया जा सकता है और इस ट्रेन को सौर शक्ति से भी चलाने की कोशिश की जा सकती है।
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