अगर नेताजी सुभाष “दिल्ली पहुँच” जाते, तो जो तीन काम वे सबसे पहले करते, वे होते- 1. “औपनिवेशिक” शासन व्यवस्था को पूरी तरह से हटाकर समाजवादी किस्म की एक भारतीय व्यवस्था कायम करना, 2. देश के गद्दारों को राजनीति की मुख्यधारा से अलग करना (शायद वे उन्हें निर्वासित ही कर देते) और 3. भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सेना के सिर से “ब्रिटिश हैंग-ओवर” का भूत (अधिकारियों द्वारा जनता एवं मातहतों को गुलाम समझने की मानसिकता) उतारना। इसके बाद वे निम्न पाँच काम करते- 1. दस (या बीस) वर्षों के अन्दर हर भारतीय को सुसभ्य, सुशिक्षित, सुस्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना, 2. हर हाथ को रोजगार देते हुए दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर को शालीन बनाना, 3. गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को एक जायज सीमा के अन्दर नियंत्रित रखना, 4. देशवासियों को राजनीतिक रूप से इतना जागरूक बनाना कि शासन-प्रशासन के लोग उन पर हावी न हो सकें और 5. प्रत्येक देशवासी के अन्दर “भारतीयता” के अहसास को जगाना। इसके बाद ही वे नागरिकों के हाथों में “मताधिकार” का अस्त्र सौंपते। देखा जाय, तो यह अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और इसी आधार पर यह दसवर्षीय “भारतीय राष्ट्रीय सरकार” का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जा रहा है।

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

41. भाषा

 

(भाषा-सम्बन्धी इन नीतियों को मनोयोगपूर्वक पढ़ा जाय, अन्यथा गलतफहमी पैदा हो सकती है।)

 

41.1 हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जायेगा।

41.2 देश की जिन क्षेत्रीय भाषाओँ की अपनी वैज्ञानिक एवं सुगठित लिपियाँ हैं और जिनके विशाल शब्द-भण्डार हैं, उन सबको उप-राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाएगा।

41.3 राष्ट्रीय सरकार अपने कार्य राष्ट्रभाषा में करेगी और उप-राष्ट्रभाषाओं एवं अँग्रेजी में उनके अनुवाद जारी करेगी।

41.4 हिन्दीभाषी राज्य अपने कार्य हिन्दी में करेंगे और राज्य की दूसरी प्रमुख भाषा (यह एक या दो हो सकती है) में उनके अनुवाद जारी करेंगे।

41.5 अहिन्दीभाषी राज्य अपने कार्य राज्य-भाषा (यानि एक उपराष्ट्रभाषा) में करेंगे और इनका अनुवाद राज्य की दूसरी प्रमुख भाषा तथा राष्ट्रभाषा में जारी करेंगे।

41.6 अन्तरराष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी का प्रयोग होगा और इनका अनुवाद सम्बन्धित देश की राष्ट्रभाषा अथवा अँग्रेजी में जारी किया जाएगा।

41.7 उपर्युक्त नीतियों को लागू करने के लिए बड़ी संख्या में अनुवादकों की आवश्यकता होगी— यह भी रोजगार का एक अवसर ही पैदा करेगा।

41.8 देश की राष्ट्रभाषा और उप-राष्ट्रभाषाओं का आपस में अनुवाद आसानी से हो सके— ऐसी कम्प्यूटर तकनीक विकसित करने के लिए विशेषज्ञों को प्रेरित किया जाएगा।

41.9 हिन्दी को राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय रूप देने के लिए अन्यान्य भारतीय/गैर-भारतीय भाषाओं से प्रचलित शब्दों को ज्यों-के-त्यों, या थोड़े बदलाव के साथ हिन्दी में शामिल करने के लिए भाषाविदों की बाकायदे एक ‘भारतीय राष्ट्रीय भाषा समिति’ गठित की जाएगी।

41.10 राष्ट्रभाषा के रूप में जिस हिन्दी का प्रयोग होगा, उसमें लगभग 10 प्रतिशत तक अँग्रेजी एवं अन्यान्य गैर-भारतीय भाषाओं के प्रचलित शब्द और 30 प्रतिशत तक उर्दू एवं अन्यान्य भारतीय भाषाओं के प्रचलित शब्द प्रयोग किए जा सकेंगे।

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