18.1 जिन भारतीयों का जन्म भारत में हुआ है, जिनके माता-पिता दोनों भारतीय नागरिक हैं और जिन्होंने विदेशों में ढाई साल से ज्यादा का समय नहीं बिताया है, वे भारत के ऐसे नागरिक होंगे, जिनके ऊपर किसी तरह की कोई बन्दिश नहीं होगी।
18.2 इसके मुकाबले जिन भारतीयों का जन्म भारत से बाहर हुआ है, या जिनके माता-पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक नहीं हैं, या जिन्होंने कुल-मिलाकर ढाई साल या इससे ज्यादा समय भारत के बाहर बिताया है, उनके ऊपर एक बन्दिश लागू होगी कि वे भारत सरकार की किसी संस्था के ‘सर्वोच्च’ पद पर आसीन नहीं हो सकेंगे।
18.3 भारतीय एवं नेपाली मूल का विदेशी नागरिक जब भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेगा, तो कुछ जरूरी पड़ताल के बाद यथाशीघ्र उसे नागरिकता प्रदान की जायेगी।
18.4 इसके मुकाबले किसी अन्य मूल का विदेशी नागरिक जब भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेगा, तो उसे नागरिकता तभी प्रदान की जायेगी, जब भारत में रहते हुए उसके कम-से-कम पाँच साल पूरे हो चुके हों।
18.5 जिन विदेशी मूल के व्यक्तियों का जन्म भारत में हुआ हो, उन्हें वयस्क होने पर भारत सरकार की ओर से उपहारस्वरूप एक विशेष ‘पर्यटक’ भारतीय नागरिकता प्रदान की जायेगी- वे बिना वीसा-पासपोर्ट के इच्छानुसार समय तक भारत में एक पर्यटक की हैसियत से रह सकेंगे।
18.6 प्रवासी भारतीयों को भारत की राज्यसभा में अपने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रतिनिधि भेजने का अवसर प्राप्त होगा— इस प्रकार, वे चाहें, तो अपनी बात भारतीय संसद में रख सकेंगे। (जिक्र क्रमांक- 27.1 (च) में ‘राज्यसभा’ अध्याय के अन्तर्गत।)
18.7 जो भारतीय विदेशों में रहने लगे हैं, उनके नागरिक अधिकारों में निम्न प्रकार से कटौती की जायेगी: कुल ढाई वर्ष विदेश में बिताने वालों को देश में सर्वोच्च सरकारी पद प्रदान नहीं किये जायेंगे, कुल 5 वर्ष देश से बाहर बिताने पर उनका भारत में चुनाव लड़ने का अधिकार समाप्त हो जायेगा, कुल 10 वर्ष बाहर बिताने वालों का वोट देने का अधिकार समाप्त हो जायेगा और कुल 20 वर्ष देश से बाहर बिताने वालों का भारत में किसी भी अचल सम्पत्ती पर से अधिकार समाप्त हो जायेगा।
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