अगर नेताजी सुभाष “दिल्ली पहुँच” जाते, तो जो तीन काम वे सबसे पहले करते, वे होते- 1. “औपनिवेशिक” शासन व्यवस्था को पूरी तरह से हटाकर समाजवादी किस्म की एक भारतीय व्यवस्था कायम करना, 2. देश के गद्दारों को राजनीति की मुख्यधारा से अलग करना (शायद वे उन्हें निर्वासित ही कर देते) और 3. भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सेना के सिर से “ब्रिटिश हैंग-ओवर” का भूत (अधिकारियों द्वारा जनता एवं मातहतों को गुलाम समझने की मानसिकता) उतारना। इसके बाद वे निम्न पाँच काम करते- 1. दस (या बीस) वर्षों के अन्दर हर भारतीय को सुसभ्य, सुशिक्षित, सुस्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना, 2. हर हाथ को रोजगार देते हुए दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर को शालीन बनाना, 3. गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को एक जायज सीमा के अन्दर नियंत्रित रखना, 4. देशवासियों को राजनीतिक रूप से इतना जागरूक बनाना कि शासन-प्रशासन के लोग उन पर हावी न हो सकें और 5. प्रत्येक देशवासी के अन्दर “भारतीयता” के अहसास को जगाना। इसके बाद ही वे नागरिकों के हाथों में “मताधिकार” का अस्त्र सौंपते। देखा जाय, तो यह अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और इसी आधार पर यह दसवर्षीय “भारतीय राष्ट्रीय सरकार” का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जा रहा है।

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

43. ऊर्जा

 43.1 सोलर सिस्टम और सौर ऊर्जा से चालित उपकरणों (बल्ब, पंखा, चूल्हा इत्यादि) के निर्माण के लिए 6 बड़े कारखाने (छहों अंचलों में एक-एक) स्थापित किये जायेंगे; जहाँ चार शिफ्टों में काम करते हुए देश में रहने वाले प्रत्येक परिवार के लिए सोलर सिस्टम और सौर ऊर्जा चालित उपकरणों के सेटतैयार किये जायेंगे।

43.2 सामाजार्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के परिवारों से सेट का 5 प्रतिशत, मध्यम आयवर्ग वालों से 50 प्रतिशत और उच्च आयवर्ग के परिवारों से सेट का 90 प्रतिशत कीमत लिया जाएगा।

43.3 सार्वजनिक स्थलों (सड़क, रेल-स्टेशन, हवाई-अड्डा इत्यादि) तथा सरकारी भवनों में दो तिहाई (66 प्रतिशत) बल्ब और पंखों को सौर-ऊर्जा से चालित बनाया जायेगा और निजी भवनों में भी इस अनुपात को अपनाने में सरकार आर्थिक मदद देगी। (सार्वजनिक स्थलों के लिए ऐसे पंखे भी विकसित किये जा सकते हैं, जिन्हें कमानीमें चाबी भरकर चलाया जा सके।)

43.4 प्रत्येक जिले में एक बिजली उत्पादन इकाई स्थापित करने की कोशिश की जायेगी, जो किसी भी स्रोत पर आधारित हो सकती है— कोयला, भू-ताप, नदी, हवा, धूप, समुद्र की लहरें इत्यादि, जो भी वहाँ उपलब्ध हो। (जाहिर है, प्रत्येक महानगर में भी एक इकाई होगी।)

43.5 बिजलीघर की बिजली का उपयोग मुख्य रूप से मशीनों आदि को चलाने में किया जायेगा, जबकि रोशनीपाने के लिए सौर-ऊर्जा को मुख्य स्रोत बनाने की कोशिश की जायेगी।

43.6 कारखानों या कारखानों के समूह को अपना खुद का बिजली संयंत्र स्थापित करने में सरकार हर संभव मदद देगी।

43.7 कम मात्रा में बिजली पैदा करने के बहुत-से विकल्प हो सकते हैं— इस प्रकार के छोटे-छोटे निजीबिजलीघर बनाने के लिए सरकार नागरिकों, संस्थानों, प्रतिष्ठानों, उद्योगों को प्रोत्साहन के साथ तकनीकी एवं आर्थिक मदद देगी।

43.8 परमाणु विखण्डन(Fission) पद्धति का बिजली बनाने में इस्तेमाल नही किया जायेगा; इसके स्थान पर समुद्र जल के ड्युटेरियमके परमाण्विक संयोजन“ (Fusion) से अनन्त ऊर्जा पाने की कोशिशों के लिए विशेष प्रयोगशालाओं की स्थापना की जायेगी और वैज्ञानिकों को इस दिशा में शोध के लिए प्रेरित किया जायेगा।

43.9 क्रमांक- 52.3 में नगरों/महानगरों में फ्लाइओवर एवं छायादार साइकिल ट्रैकों के निर्माण का जिक्र है इन्हें छायादार बनाने के लिए सौर-पैनलों के छप्परका प्रयोग किया जा सकता है और इससे प्राप्त ऊर्जा से न केवल साइकिल-ट्रैक को, बल्कि नगर-महानगर की सड़कों को भी रोशन किया जा सकता है।

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