अगर नेताजी सुभाष “दिल्ली पहुँच” जाते, तो जो तीन काम वे सबसे पहले करते, वे होते- 1. “औपनिवेशिक” शासन व्यवस्था को पूरी तरह से हटाकर समाजवादी किस्म की एक भारतीय व्यवस्था कायम करना, 2. देश के गद्दारों को राजनीति की मुख्यधारा से अलग करना (शायद वे उन्हें निर्वासित ही कर देते) और 3. भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सेना के सिर से “ब्रिटिश हैंग-ओवर” का भूत (अधिकारियों द्वारा जनता एवं मातहतों को गुलाम समझने की मानसिकता) उतारना। इसके बाद वे निम्न पाँच काम करते- 1. दस (या बीस) वर्षों के अन्दर हर भारतीय को सुसभ्य, सुशिक्षित, सुस्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना, 2. हर हाथ को रोजगार देते हुए दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर को शालीन बनाना, 3. गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को एक जायज सीमा के अन्दर नियंत्रित रखना, 4. देशवासियों को राजनीतिक रूप से इतना जागरूक बनाना कि शासन-प्रशासन के लोग उन पर हावी न हो सकें और 5. प्रत्येक देशवासी के अन्दर “भारतीयता” के अहसास को जगाना। इसके बाद ही वे नागरिकों के हाथों में “मताधिकार” का अस्त्र सौंपते। देखा जाय, तो यह अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और इसी आधार पर यह दसवर्षीय “भारतीय राष्ट्रीय सरकार” का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जा रहा है।

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

37. शिक्षाः सामग्री

 37.1 जिन भारतीय भाषाओं की अपनी वैज्ञानिक एवं सुगठितलिपियाँ हैं,  जिनके शब्द-भण्डार विशाल हैं और जिनमें आवश्यकतानुसार नये शब्द गढ़े जा सकते हैं, उन सबको शिक्षा-परीक्षा का माध्यम बनाने का प्रयास किया जाएगा— इसके लिए इन भाषाओं के प्रेमियों से कहा जायेगा कि वे सभी पाठ्यक्रम इन भाषाओं में तैयार करने/करवाने का काम करें।

37.2 अंग्रेजी भाषा/रोमन लिपि को अन्तरराष्ट्रीय भाषा/लिपि तथा एक साहित्य के रूप में पढ़ाया जायेगा, कुछ विशेष पाठ्यक्रमों में इसे शिक्षा-परीक्षा का माध्यम भी रहने दिया जायेगा, लेकिन जब विभिन्न भारतीय भाषाओं में सारे पाठ्यक्रम तैयार हो जायेंगे, तब अँग्रेजी को शिक्षा-परीक्षा का माध्यम नहीं रहने दिया जायेगा।

37.3 उच्च विद्यालयों में (यानि 7वीं से 12वीं कक्षा तक) यूनिफॉर्म को आवश्यक बनाया जायेगा तथा सप्ताह में एक दिन घण्टे-दो घण्टे की सैन्य शिक्षा भी दी जायेगी, हालाँकि यह सैन्य शिक्षा कड़ाई से नहीं दी जायेगी— यह सिर्फ अनुशासन एवं सामूहिकता की भावना जगाने के लिए दी जायेगी।

37.4 उच्च विद्यालयों में ही कुछ अतिरिक्त विषयों की पुस्तकें लागू की जायेंगी, जिनकी परीक्षा नही ली जायेगी; उन्हें निम्न प्रकार से पढ़ाया जाएगा: 7वीं में ललित कला, 8वीं में योगासन एवं प्राकृतिक चिकित्सा, 9वीं में प्रमुख भारतीय भाषाओं का न्यूनतम व्यवहारिक ज्ञान, 10वीं में पर्यावरण संरक्षण, 11वीं में यौन शिक्षा और 12वीं में दुनिया भर के विषयों पर नवीनतम एवं आधुनिकतम जानकारी देने वाली एक वार्षिक चयनिका’ (‘डाइजेस्ट’)

37.5 भारतीय पृष्ठभूमि पर एवं भारतीय परिवेश में भारतीय दृष्टिकोण से सहज पाठ्यक्रमों की रचना की जायेगी।

37.6 पाठ्य-पुस्तकों की रचना इस तरह से की जायेगी कि विद्यार्थियों पर बस्ते का बोझज्यादा न पड़े— जैसे कि 3 विषयों की पूर्वाद्धशिक्षण-सामग्री की एक ही पुस्तक बनायी जा सकती है।

37.7 20 वर्ष और इससे पुरानी रचनाएं ही पाठ्य-पुस्तकों में— खासकर, साहित्य की— शामिल की जायेंगी।

37.8 विद्यालयों एवं उच्च विद्यालयों में संस्कृत को सिर्फ पढ़ कर समझनेकी शिक्षा दी जायेगी, इसके व्याकरण और इसमें रचना की शिक्षा महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में दी जाएगी (जो पढ़ना चाहे)।

37.9 संस्कृत का वैकल्पिक विषय फारसी होगा और इसके लिए भी संस्कृत वाली उपर्युक्त नीति अपनायी जा सकती है।

37.10 निजी संस्थानों, ग्राम-पंचायतों, नगर तथा महानगर परिषदों को 12 वीं तक और राज्य सरकारों को स्नातकोत्तर स्तर तक की समानान्तर शिक्षा व्यवस्था कायम करने की छूट होगी।

37.11 शिशुओं के लिए शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेवारी स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं को इस सलाह के साथ सौंपी जायेगी की वे यह शिक्षा बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही देने की कोशिश करें।

37.12 बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने की इच्छा रखने वाली संस्थाओं से कहा जायेगा कि वे इसकी व्यवस्था सुबह या शाम ऐसे समय में करें, जिससे कि बच्चों की विद्यालयी शिक्षा बाधित न हो।

37.13 ऊपर क्रमांक 37.4 में जिन अतिरिक्तपुस्तकों का जिक्र है, उन्हें बाजार में भी उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि आम लोग भी इनका लाभ उठा सकें।

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