8.1 नये ‘भारतीय राष्ट्रीय सरकारी वेतनमान’ (जैसा कि पिछले अध्याय में जिक्र हुआ है) का एक खाका परिशिष्ट- ‘इ’ में प्रस्तुत किया जा रहा है— इसमें न्यूनतम व अधिकतम वेतन के बीच 1:15 का अन्तर रखा गया है और ”उदाहरण के लिए“ 10,000 से 1,50,000 तक का वेतनमान दिखाया गया है।
8.2 अगले अध्याय में रुपये का मूल्य बढ़ाने की बात कही जा रही है— ऐसे में, 10,000 से 1,50,000 तक की राशि पर्याप्त साबित होनी चाहिए; अगर ऐसा न हो, तो राशि बढ़ाई जा सकती है, मगर अनुपात वही रहेगा— 1:15।
8.3 विभिन्न विभाग अपनी जरूरत के अनुसार किन्हीं दो श्रेणियों के बीच एक नयी श्रेणी का सृजन कर सकेंगे। (जैसे, 10,000 और 20,000 के बीच 15,000 की एक नयी श्रेणी, या 30,000 और 40,000 के बीच 35,000 की एक नयी श्रेणी।)
8.4 इस वेतनमान में वार्षिक वेतनवृद्धि का जिक्र नहीं है— इसे विशेषज्ञ तय करेंगे, मगर इतना तय होगा कि 30 वर्षों की सेवा होते-होते सभी कर्मी अपने वेतनमान के उच्चतम विन्दु पर पहुँच जायेंगे।
8.5 इसी प्रकार, भत्तों का भी जिक्र इसमें नहीं है, मगर वह जो भी होगा, उसका भी अनुपात 1:15 ही होगा और कुल भत्ता वेतन के 50 प्रतिशत से ऊपर नहीं जायेगा।
8.6 इस वेतनमान में खिलाड़यों को भी वेतन देने का प्रावधान है; उनका सक्रिय खेल जीवन आम तौर पर 10-12 वर्षों का होता है, इसके बाद उन्हें खेल-प्रशिक्षक के रूप में अथवा वेतनमान के आधार पर सामान्य नौकरियों में समायोजित कर लिया जायेगा।
8.7 अर्द्धसैन्य बलों में यह वेतनमान 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ लागू होगा और सशस्त्र सेनाओं में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ।
8.8 पुराना (यानि वर्तमान) वेतनमान पाने वाले अगर चाहें, तो नये वेतनमान को स्वीकार कर नयी सेवा में शामिल हो सकते हैं, अन्यथा—
(क) जिनकी नौकरी 15 वर्ष से अधिक होगी, उन्हें पेन्शन पर भेज दिया जायेगा;
(ख) जिनकी नौकरी 15 वर्ष से कम होगी, उन्हें 15 वर्ष पूरा होने तक ‘घर बिठाये’ ‘मूल वेतन’ दिया जायेगा और उसके बाद पेन्शन पर भेजा जायेगा।
वेतनमान का खाका परिशिष्ट "इ" में है: http://jaydeepmanifesto.blogspot.com/2024/04/blog-post_38.html
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