टिप्पणी: नवम्बर’2016 में गलत नीयत एवं अपर्याप्त तैयारियों के साथ की गयी आंशिक विमुद्रीकरण का गहरा आघात देश की जनता को पहुँचा है। उसे देखते हुए इस अध्याय को रद्द किया जा रहा है। हालाँकि इसमें कोई ऐसी बात नहीं कही गयी थी, जिससे देश की आम जनता को परेशान होना पड़ता।
अगर नेताजी सुभाष “दिल्ली पहुँच” जाते, तो जो तीन काम वे सबसे पहले करते, वे होते- 1. “औपनिवेशिक” शासन व्यवस्था को पूरी तरह से हटाकर समाजवादी किस्म की एक भारतीय व्यवस्था कायम करना, 2. देश के गद्दारों को राजनीति की मुख्यधारा से अलग करना (शायद वे उन्हें निर्वासित ही कर देते) और 3. भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सेना के सिर से “ब्रिटिश हैंग-ओवर” का भूत (अधिकारियों द्वारा जनता एवं मातहतों को गुलाम समझने की मानसिकता) उतारना।
इसके बाद वे निम्न पाँच काम करते- 1. दस (या बीस) वर्षों के अन्दर हर भारतीय को सुसभ्य, सुशिक्षित, सुस्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना, 2. हर हाथ को रोजगार देते हुए दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर को शालीन बनाना, 3. गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को एक जायज सीमा के अन्दर नियंत्रित रखना, 4. देशवासियों को राजनीतिक रूप से इतना जागरूक बनाना कि शासन-प्रशासन के लोग उन पर हावी न हो सकें और 5. प्रत्येक देशवासी के अन्दर “भारतीयता” के अहसास को जगाना।
इसके बाद ही वे नागरिकों के हाथों में “मताधिकार” का अस्त्र सौंपते।
देखा जाय, तो यह अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और इसी आधार पर यह दसवर्षीय “भारतीय राष्ट्रीय सरकार” का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जा रहा है।
शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024
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