अगर नेताजी सुभाष “दिल्ली पहुँच” जाते, तो जो तीन काम वे सबसे पहले करते, वे होते- 1. “औपनिवेशिक” शासन व्यवस्था को पूरी तरह से हटाकर समाजवादी किस्म की एक भारतीय व्यवस्था कायम करना, 2. देश के गद्दारों को राजनीति की मुख्यधारा से अलग करना (शायद वे उन्हें निर्वासित ही कर देते) और 3. भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सेना के सिर से “ब्रिटिश हैंग-ओवर” का भूत (अधिकारियों द्वारा जनता एवं मातहतों को गुलाम समझने की मानसिकता) उतारना। इसके बाद वे निम्न पाँच काम करते- 1. दस (या बीस) वर्षों के अन्दर हर भारतीय को सुसभ्य, सुशिक्षित, सुस्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना, 2. हर हाथ को रोजगार देते हुए दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर को शालीन बनाना, 3. गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को एक जायज सीमा के अन्दर नियंत्रित रखना, 4. देशवासियों को राजनीतिक रूप से इतना जागरूक बनाना कि शासन-प्रशासन के लोग उन पर हावी न हो सकें और 5. प्रत्येक देशवासी के अन्दर “भारतीयता” के अहसास को जगाना। इसके बाद ही वे नागरिकों के हाथों में “मताधिकार” का अस्त्र सौंपते। देखा जाय, तो यह अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और इसी आधार पर यह दसवर्षीय “भारतीय राष्ट्रीय सरकार” का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जा रहा है।

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

27. राज्यसभा

(राष्ट्रीय सरकार द्वारा विधानसभा और लोकसभा के चुनावों के बीच में— अर्थात् नवें एवं दसवें वर्ष के बीच में राज्यसभा का गठन कर दिया जायेगा।)

 

27.1 राज्य सभा यानि उच्च सदन में 324 सीटें होंगी, जिनका बँटवारा निम्न प्रकार किया जायेगाः

(क) 162 सीट राज्यों की विधानसभाओं के लिए— प्रत्येक विधानसभा से 3 विधायक चुनकर राज्यसभा में आयेंगे: एक सामान्य, एक महिला तथा एक सामाजार्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से और राज्य विधानसभा द्वारा प्रतिवर्ष एक सदस्य बदला जायेगा। (54 राज्य गुणा 3 विधायक बराबर 162)

(ख) 21 सीट राष्ट्र-शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के लिए— 7 प्रदेशों से 3-3 प्रतिनिधि— एक महिला, एक सामान्य तथा एक सामाजार्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से, प्रतिवर्ष एक सदस्य बदलेगा, मनोनयन राष्ट्रपति द्वारा।

(ग) 66 सीट 70 वर्ष से अधिक आयु वाले अनुभवी एवं सक्रिय राजनेताओं के लिये; प्रत्येक उपराष्ट्रपति (यानि अँचलपाल) अपने अँचल से 11-11 ऐसे सदस्यों को 3 वर्षों के लिए मनोनीत करेंगे— प्रतिवर्ष दो अँचलपालों को मनोनयन का अधिकार देकर 22 सदस्यों को प्रतिवर्ष बदलने की व्यवस्था की जा सकती है। (इनमें से कुछ सदस्यों को जीवन भर के लिए राज्यसभा की सदस्यता प्रदान करने का विवेकाधिकार राष्ट्रपति महोदय को दिया जा सकता है।)

(घ) 33 सीट अखिल भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यवसायिक परिसंघों (फेडेरेशन) के प्रतिनिधियों के लिये; तीनों प्रकार के संगठनों के लिये 11-11 सीट; प्रतिवर्ष एक-तिहाई अर्थात् 11 सदस्य बदलेंगे; ये प्रतिनिधि अपने संगठनों द्वारा चुनकर राज्यसभा में आयेंगे।

(ङ) 33 सीट उन भारतीयों के लिए, जिन्होंने साहित्य, कला, सामाजिक कार्य, सांस्कृतिक गतिविधि, कृषि, उद्योग, खेल-कूद, चिकित्सा, तकनीक/अभियांत्रिकी, साहसिक अभियान और विज्ञान/नई खोज/नये शोध या नये आविष्कार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया हो; ये 11 क्षेत्र हैं और प्रतिवर्ष 11 नयी प्रतिभाओं को शामिल करते हुए 11 पुराने सदस्यों को विदा किया जा सकता है। (विविधअध्याय के क्रमांक- 54.11 से 54.13 में इन 11 क्षेत्रों की प्रतिभाओं को दो श्रेणियों— युवा व वरिष्ठ— के अन्तर्गत प्रतिवर्ष पुरस्कृत करने की बात कही जा रही है, उनमें से पुरस्कृत होने वाले वरिष्ठ नागरिकों को राज्यसभा की सदस्यता दी जा सकती है।)

(च) 9 सीट प्रवासी भारतीयों के प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष प्रतिनिधियों के लिये, 3 सदस्य प्रतिवर्ष बदलेंगे। (प्रवासी भारतीयों को 9 क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है: 1. यूरोप, 2. उत्तरी अमेरीका, 3. दक्षिणी अमेरीका, 4. अफ्रिका, 5. ऑस्ट्रेलिया, 6. दक्षिण-पूर्वी एवं पूर्वी एशिया, 7. मध्य-पूर्व एवं पश्चिम एशिया, 8. मॉरिशस और 9. अन्य टापू देश। प्रत्येक संघ से 1-1 प्रतिनिधि होंगे। अगर वहाँ के प्रवासी भारतीय अपना संघ बनाकर प्रत्यक्षप्रतिनिधि भेजते हैं, तो अच्छी बात होगी, अन्यथा, राष्ट्रपति महोदय अप्रत्यक्षप्रतिनिधि नियुक्त करेंगे।)

 

राज्यों में

27.2 राज्यों में 90 सदस्यीय विधान परिषदहोंगे, जहाँ राज्य स्तरीय सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यवसायिक संघों के चुने हुएप्रतिनिधियों, बुजुर्ग राजनीतिज्ञों तथा गैर-राजनीतिक हस्तियों को इसकी सदस्यता प्रदान की जायेगी।

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