(राष्ट्रीय सरकार के दसवर्षीय शासन के बाद कायम होने वाली लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के लिए दिशा-निर्देश)
24.1 चूँकि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को देश/राज्यों के 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता सीधे चुनेंगे (अगला अध्याय), इसलिए प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्रियों के द्वारा पेश किये गये किसी प्रस्ताव/विधेयक को लोकसभा एवं राज्यसभा/विधानसभा एवं विधानपरिषद के 50 प्रतिशत से ज्यादा के बहुमत से पारित माना जायेगा, जबकि सांसद/विधायक द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव/विधेयक के पारित होने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता पड़ेगी।
24.2 प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री अकेले, या संसद/विधानसभा के पचास प्रतिशत सदस्य किसी प्रस्ताव/विधेयक पर ‘जनसंसदों’ की स्वीकृति के लिए, या फिर देश (या राज्य) भर में ”जनमत सर्वेक्षण“ के लिए अनुशंसा कर सकते हैं।
24.3 राष्ट्रीय संसद के वर्ष में कुल छह सत्र आयोजित होंगे— शिशिर, बसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरत् और हेमन्त; ये अधिवेशन बारी-बारी से देश के छह अँचलों में होंगे, और प्रत्येक अधिवेशन न्यूनतम 21 दिनों का होगा। (बेशक, छुट्टियों को घटाकर।)
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