अगर नेताजी सुभाष “दिल्ली पहुँच” जाते, तो जो तीन काम वे सबसे पहले करते, वे होते- 1. “औपनिवेशिक” शासन व्यवस्था को पूरी तरह से हटाकर समाजवादी किस्म की एक भारतीय व्यवस्था कायम करना, 2. देश के गद्दारों को राजनीति की मुख्यधारा से अलग करना (शायद वे उन्हें निर्वासित ही कर देते) और 3. भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सेना के सिर से “ब्रिटिश हैंग-ओवर” का भूत (अधिकारियों द्वारा जनता एवं मातहतों को गुलाम समझने की मानसिकता) उतारना। इसके बाद वे निम्न पाँच काम करते- 1. दस (या बीस) वर्षों के अन्दर हर भारतीय को सुसभ्य, सुशिक्षित, सुस्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना, 2. हर हाथ को रोजगार देते हुए दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर को शालीन बनाना, 3. गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को एक जायज सीमा के अन्दर नियंत्रित रखना, 4. देशवासियों को राजनीतिक रूप से इतना जागरूक बनाना कि शासन-प्रशासन के लोग उन पर हावी न हो सकें और 5. प्रत्येक देशवासी के अन्दर “भारतीयता” के अहसास को जगाना। इसके बाद ही वे नागरिकों के हाथों में “मताधिकार” का अस्त्र सौंपते। देखा जाय, तो यह अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और इसी आधार पर यह दसवर्षीय “भारतीय राष्ट्रीय सरकार” का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जा रहा है।

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

39. मीडिया

 ‘चित्रवाणी’

39.1 चित्रवाणी, अर्थात टेलीविजन का प्रसारण दिन में 5 घण्टों के लिए सीमित कर दिया जाएगा। (सभी चैनल अपने कार्यक्रमों को इण्टरनेट पर हर वक्त उपलब्ध रख सकते हैं।)

39.2 प्रसारण के पाँच घण्टों का निर्धारण इस प्रकार हो सकता है: सुबह 7 से 8 बजे तक, दोपहर 2 से 3 बजे तक और शाम/रात 7 से 10 बजे तक।

39.3 सभी चैनलों को वर्ष में 100 घण्टों का अतिरिक्त समय भी दिया जाएगा, जिसका इस्तेमाल वे अपनी मर्जी के मुताबिक कर सकेंगे।

39.4 समाचार आधारित चैनलों को प्रति घण्टे कुछ मिनटों के प्रसारण का अधिकार होगा, मगर कुल समय उनका भी अन्यान्य चैनलों जैसा ही होगा— 5 घण्टे प्रतिदिन और वर्ष में 100 घण्टे अतिरिक्त।

39.5 कार्यक्रम रोक कर विज्ञापन दिखलाने वाले चैनलों को अनिवार्य रूप से फ्री टू एयरबनाया जाएगा।

39.6 जहाँ तक सरकारी चैनलों की बात है, राज्य सरकारों के प्रसारण राज्य की भाषाओं में, राष्ट्रीय प्रसारण प्रमुख भारतीय भाषाओं में, भारतीय उप-महाद्वीप के लिए प्रसारण पड़ोसी देशों की भाषाओं में और अन्तरराष्ट्रीय प्रसारण अंग्रेजी में होगा।

 

‘आकाशवाणी’

39.7 आकाशवाणी देशभर में निम्न 12 प्रवाहों (चैनलों) के प्रसारण की व्यवस्था करेगा: 1. भक्ति संगीत,  2. शास्त्रीय संगीत,  3. लोकगीत, अर्द्धशास्त्रीय, सुगम संगीत, गजल इत्यादि, 4. वाद्य संगीत, 5. फिल्मी संगीत (1970 तक), 6. फिल्मी संगीत (1971 से 2000 तक), 7. फिल्मी संगीत (2001 से), 8. विविध भारती 9. उर्दू और नेपाली सर्विस 10. राज्य प्रसारण 11. स्थानीय (एफ.एम.) चैनल और 12. समाचार, ज्ञान-विज्ञान इत्यादि। (एफ.एम. चैनलों के प्रसारण में निजी क्षेत्र को प्रवेश दिया जायेगा।)

39.8            इन चैनलों को सुनने के लिये खास रेडियो सेट भी आकाशवाणी की ओर से बाजार में उतारे जायेंगे, जिसके ट्यूनर घड़ी के डायल के समान उपर्युक्त बारह चैनलों को दिखायेंगे।

39.9 ये रेडियो सेट कई मॉडलों में हो सकेंगे— जैसे, ‘कलमी’ (कलम के समान, ईयरफोन के साथ),जेबी’ (जेब में रखने योग्य),मेजी’ (मेज पर रखने लायक),दीवारी’ (दीवार पर टाँगने लायक, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर दफ्तरों तथा रेस्तोराओं में किया जायेगा) और भीमा’ (विशालकाय सेट)।

39.10 उपर्युक्त बारह चैनलों का प्रसारण (श्रोताओं की माँग पर) छह से चौबीसों घण्टों तक जारी रह सकेगा।

 

उभयनिष्ठ

39.11 आकाशीय तरंगों के माध्यम से इस देश में क्या दिखाया/सुनाया जाय और क्या नहीं— यह तय करने के लिए बुद्धिजीवियों, वरिष्ठ संस्कृति-कर्मियों और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक ‘भारतीय राष्ट्रीय मीडिया समिति’ बनायी जाएगी। (जाहिर है कि यह समिति ‘प्रिण्ट मीडिया’ के लिए भी दिशा-निर्देश जारी कर सकेगी।)

39.12 टावरोंके जंगल को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक प्रखण्ड/नगर/उप-महानगर में एक मास्टर टावर का निर्माण किया जाएगा, जिसमे पर्याप्त शिखरहोंगे— आबादी के बीच खड़े सभी टावरों को हटा लिया जाएगा।

 

सोशल-मीडिया

39.13 सोशल-मीडिया पर सरकार की ओर से किसी तरह की रोक-टोक या नियंत्रण की कोशिश नहीं होगी— जरूरत पड़ने पर सरकार द्वारा राष्ट्रीय मीडिया समिति (ऊपर क्रमांक- 39.11) को कुछ दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा जा सकता है, इससे आगे की कार्रवाई न्यायपालिका के हाथों में होगी।

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