अगर नेताजी सुभाष “दिल्ली पहुँच” जाते, तो जो तीन काम वे सबसे पहले करते, वे होते- 1. “औपनिवेशिक” शासन व्यवस्था को पूरी तरह से हटाकर समाजवादी किस्म की एक भारतीय व्यवस्था कायम करना, 2. देश के गद्दारों को राजनीति की मुख्यधारा से अलग करना (शायद वे उन्हें निर्वासित ही कर देते) और 3. भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सेना के सिर से “ब्रिटिश हैंग-ओवर” का भूत (अधिकारियों द्वारा जनता एवं मातहतों को गुलाम समझने की मानसिकता) उतारना। इसके बाद वे निम्न पाँच काम करते- 1. दस (या बीस) वर्षों के अन्दर हर भारतीय को सुसभ्य, सुशिक्षित, सुस्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना, 2. हर हाथ को रोजगार देते हुए दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर को शालीन बनाना, 3. गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को एक जायज सीमा के अन्दर नियंत्रित रखना, 4. देशवासियों को राजनीतिक रूप से इतना जागरूक बनाना कि शासन-प्रशासन के लोग उन पर हावी न हो सकें और 5. प्रत्येक देशवासी के अन्दर “भारतीयता” के अहसास को जगाना। इसके बाद ही वे नागरिकों के हाथों में “मताधिकार” का अस्त्र सौंपते। देखा जाय, तो यह अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और इसी आधार पर यह दसवर्षीय “भारतीय राष्ट्रीय सरकार” का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जा रहा है।

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

परिशिष्ट- ‘उ’: ‘जन-गण-मन’ बनाम ‘शुभ सुख-चैन की बरखा’

 अँग्रेजों ने कविगुरू रवीन्द्रनाथ ठाकुर से जॉर्ज पंचम के भारत आगमन (दिल्ली दरबार, 1911) पर उनके स्वागत गीत के रूप में जन-गण-मनगीत की रचना करवायी थी। नेताजी सुभाष ने इसमें निम्न संशोधन करते हुए इसे राष्ट्रगीत के रूप में अपनाया— संस्कृतनिष्ठ बँगला शब्दों के स्थान पर सरल हिन्दुस्तानी शब्दों का प्रयोग किया तथा अधिनायकएवं भारत भाग्यविधाताशब्दों से परहेज किया। जर्मनी में भारतीय मूल के आबिद हसन ने इस काम में उनकी मदद की थी। दो साल बाद 1943 में सिंगापुर में मुमताज हुसैन ने इस गीत की अशुद्धियाँ दूर कीं, रामसिंह ठाकुर ने इसकी धुन बनायी और यही गीत आजाद हिन्द सरकार का कौमी तराना बना। आज भारत का राष्ट्रगीत उसी धुन पर गाया जाता है। आजाद हिन्द सरकार का कौमी तराना इस प्रकार से था:

       शुभ सुख चौन की बरखा बरसे भारत भाग है जागा !

       पंजाब सिंध गुजरात मराठा द्रविड़ उत्कल बंगा

       चंचल-सागर विन्ध्य हिमालय नीला जमुना गंगा

       तेरे नित गुण गाये तुझसे जीवन पाये

       सब जन पाये आशा।

       सूरज बनकर जग पर चमके भारत नाम सुहाना।

       जय हो! जय हो! जय हो! जय जय जय जय हो !!

       (गीत के और भी दो चरण हैं।)

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