”रक्षक“ व ”तक्षक“
49.1 ‘भारतीय राष्ट्रीय पुलिस सेवाओं’ के तहत एक नयी पुलिस व्यवस्था कायम की जायेगी, जिसमें सिर्फ लम्बे कद के युवाओं को भर्ती किया जाएगा।
49.2 नयी पुलिस व्यवस्था में निम्न दो बल होंगेः
(क) सफेद-काली वर्दी वाली पुलिस समाज के अन्दर नागरिकों की हितैषी बनकर रहेगी और ‘सफेदपोश’ अपराधियों को पकड़ने का काम करेगी— इस बल को ”रक्षक“ नाम दिया जा सकता है। (राज्य सरकारें वर्दी का रंग आदि बदलने के लिए स्वतंत्र होंगी)
(ख) सम्पूर्ण काली वर्दी वाली पुलिस समाज के बाहर बैरकों में रहेगी और ‘भूमिगत’ एवं ‘फरार’ अपराधियों से निपटेगी— इस बल को ”तक्षक“ नाम दिया जा सकता है।
49.3 ‘रात्री गश्त’ की जिम्मेवारी भी सम्पूर्ण काली वर्दी वाली पुलिस यानि ”तक्षक“ को दी जा सकती है।
49.4 पुलिस सेवा में एक गुप्तचर विभाग भी होगा, जो “रक्षक” व “तक्षक”— दोनों बलों को जरूरी सूचनाएं मुहैया करायेगी।
49.5 कहने की आवश्यकता नहीं कि दोनों बलों को बिल्कुल अलग-अलग किस्म के प्रशिक्षण दिए जायेंगे। (सफेद-काली वर्दी वाली पुलिस वालों से विनम्र व्यवहार की उम्मीद की जायेगी, जबकि सम्पूर्ण काली वर्दी वाली पुलिस वालों के ख्याल से ही भूमिगत/फरार अभियुक्तों/दोषियों की रूह काँप जानी चाहिए।)
49.6 पुलिस व्यवस्था राज्यों के ही अधीन रहेगी, चयन/बहाली भी राज्य सरकारें करेंगी, लेकिन पुलिस वालों को प्रशिक्षण राष्ट्रीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय प्रशिक्षण केन्द्रों में दिया जाएगा।
गृहरक्षक
49.7 थाना स्तर पर स्थानीय युवाओं को लेकर एक ”गृहरक्षक“ बल का भी गठन किया जाएगा। (इसमें लंबे कद की आवश्यकता नहीं रहेगी और यह पूरी तरह से राज्य सरकार की पुलिस होगी।)
”देवदूत“ बल
49.8 विभिन्न प्रकार की त्रासदियों से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित एवं सुसज्जित एक ”देवदूत“ बल का गठन किया जाएगा।
49.9 महिला अर्द्धसैन्य बल (क्रमांक- 32.1) की तरह इनका आवास भी जिला स्तर पर बनने वाला ‘खेल गाँव’ (क्रमांक- 34.7) ही होगा— इस प्रकार, आपात्कालीन स्थितियों में राहत कार्य का अपना प्राथमिक कर्तव्य निभाने के अलावे बाकी समय में ये ‘खेल गाँव’ की देखभाल कर सकेंगे।
आतंकवाद निरोधी दस्ता
49.10 आतंकवादियों से निपटने के लिये खास ढंग से प्रशिक्षित एवं सुसज्जित एक कमाण्डो बल का गठन किया जायेगा, जिसे ”भारतीय चीता“ नाम दिया जा सकता है।
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