अगर नेताजी सुभाष “दिल्ली पहुँच” जाते, तो जो तीन काम वे सबसे पहले करते, वे होते- 1. “औपनिवेशिक” शासन व्यवस्था को पूरी तरह से हटाकर समाजवादी किस्म की एक भारतीय व्यवस्था कायम करना, 2. देश के गद्दारों को राजनीति की मुख्यधारा से अलग करना (शायद वे उन्हें निर्वासित ही कर देते) और 3. भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सेना के सिर से “ब्रिटिश हैंग-ओवर” का भूत (अधिकारियों द्वारा जनता एवं मातहतों को गुलाम समझने की मानसिकता) उतारना। इसके बाद वे निम्न पाँच काम करते- 1. दस (या बीस) वर्षों के अन्दर हर भारतीय को सुसभ्य, सुशिक्षित, सुस्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना, 2. हर हाथ को रोजगार देते हुए दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर को शालीन बनाना, 3. गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को एक जायज सीमा के अन्दर नियंत्रित रखना, 4. देशवासियों को राजनीतिक रूप से इतना जागरूक बनाना कि शासन-प्रशासन के लोग उन पर हावी न हो सकें और 5. प्रत्येक देशवासी के अन्दर “भारतीयता” के अहसास को जगाना। इसके बाद ही वे नागरिकों के हाथों में “मताधिकार” का अस्त्र सौंपते। देखा जाय, तो यह अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और इसी आधार पर यह दसवर्षीय “भारतीय राष्ट्रीय सरकार” का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जा रहा है।

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

23. सांसदों का चयन

(राष्ट्रीय सरकार द्वारा यह काम अपने शासन के दसवें वर्ष में किया जायेगा।)

 

23.1 देश के प्रत्येक जिले तथा महानगर को एक-एक लोकसभा क्षेत्र माना जायेगा।

23.2 देश में कुल 54 राज्यों के गठन की बात अध्याय- 19 (छह अँचलः चौवन राज्य) में कही गयी है और कहा गया है कि प्रत्येक राज्य में 9 जिले होंगे। (जो महानगर होंगे उन्हें जिले के समतुल्य माना जायेगा।)

23.3 इस प्रकार, देश में कुल (54 गुणा 9) 486 लोकसभा क्षेत्र होंगे, प्रत्येक क्षेत्र से चूँकि एक प्रतिनिधि चुना जायेगा, इसलिए लोकसभा में सांसदों की कुल संख्या भी 486 ही होगी।

23.4 सांसदों का चुनाव दो चरणों में होगा— पहले चरण में सर्वाधिक मत पाने वाले एक सामान्य, एक महिला तथा एक निम्न सामाजार्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधि को चुना जायेगा, फिर दूसरे चरण का चुनाव इन्हीं तीन चुने गये उम्मीदवारों के बीच होगा।

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