5.1 थाना स्तर पर 5-5 सतर्कता मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति की जायेगी, जो अगर चाहें, तो अपनी सहायता के लिये (क) स्थानीय गणमान्य नागरिकों को लेकर एक 12 सदस्यीय ज्यूरी तथा (ख) नौजवानों/छात्रों को लेकर एक सतर्कता बल का गठन कर सकेंगे। (ये मजिस्ट्रेट ‘भारतीय राष्ट्रीय लोकपाल सेवा’ के अधीन रहेंगे।)
5.2 ज्यूरी, फैसला लेने में सतर्कता मजिस्ट्रेटों की मदद करेगी तथा सतर्कता बल के सदस्य अपने क्षेत्र के अन्दर से घूँसखोरी, कमीशनखोरी, जमाखोरी इत्यादि की सूचना लाकर सतर्कता अदालत में जमा करेंगे; साथ ही, आम नागरिकों को ऐसे सूचना दर्ज कराने में मदद करेंगे।
5.3 इन सतर्कता अदालतों की प्रक्रिया बहुत ही सरल होगी- यहाँ सबूतों, गवाहों, वकीलों की ‘अनिवार्यता’ नहीं होगी और जरूरत पड़ने पर पाँचों मजिस्ट्रेट एक ‘पंचायत’ के रूप में बैठकर सुनवाई कर सकेंगे।
5.4 इसके सम्मनों की अवहेलना करने वालों पर अलग से जुर्माना लगाया जायेगा।
5.5 इस अदालत में ‘पहली बार’ दोषी समझे गये अभियुक्तों को चेतावनी देकर छोड़ दिया जायेगा; ‘दूसरी बार’ जुर्माने, और ‘तीसरी बार’ दोषी पाये जाने पर जेल की सजा दी जायेगी- हालाँकि दोष की गम्भीरता को देखते हुए तथा सबूत पक्के पाये जाने पर पहली बार में ही जुर्माने या जेल की सजा दी जा सकेगी।
5.6 यह अदालत जरूरी समझने पर भुक्तभोगी को मुआवजा भी दिला सकेगी।
5.7 प्राथमिकी (एफ.आई.आर.) तथा बयान दर्ज करने और पुलिस से प्राथमिकी की प्रगति जानते रहने की जिम्मेवारी भी सतर्कता मजिस्ट्रेटों के पास होगी।
5.8 सतर्कता मजिस्ट्रेट नियमित रूप से अपनी अदालत में दर्ज शिकायत व उनके निर्णय, प्राथमिकी तथा प्राथमिकी की प्रगति की जानकारी अपने राज्य की लोकपाल सेवा के पास भेजेंगे, और फिर राज्यों की लोकपाल सेवाएं उनका संक्षिप्त विवरण राष्ट्रीय लोकपाल सेवा के पास भेजेंगी।
5.9 किसी एक सतर्कता मजिस्ट्रेट की अनुमति, सहमति या आदेश पर ही पुलिस नागरिक या नागरिक समूह पर बल प्रयोग कर सकेगी, उन्हें गिरफ्तार कर सकेगी या हिरासत में ले सकेगी। (सिर्फ घोषित, संगठित, भूमिगत अपराधी तथा ‘भारत-विरोधी’ आतंकवादी इसके अपवाद होंगे। जाहिर है, आपात्कालीन परिस्थितियों में पुलिस मोबाइल फोन पर भी उक्त अनुमति, सहमति या आदेश प्राप्त कर सकती है।)
5.10 सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों को किसी भी तरह का प्रलोभन देने वाले या उनपर किसी भी प्रकार का दवाब बनाने या प्रभाव डालने वाले नागरिकों के खिलाफ शिकायत लेकर सरकारी अधिकारी/कर्मचारी भी सतर्कता अदालतों में जा सकेंगे।
5.11 नागरिक सेवाओं से जुड़े सभी कार्यालय (सरकारी हों या निजी) एक निश्शुल्क जन-टेलीफोन द्वारा थाना सतर्कता मजिस्ट्रेट से जुड़े होंगे— छोटी-मोटी शिकायतें नागरिक इन फोनों के माध्यम से ही दर्ज करा सकेंगे और सतर्कता मजिस्ट्रेट भी फोन पर ही सम्बन्धित कर्मचारी/अधिकारी को बुलाकर उनका पक्ष सुनकर अपना निर्णय दे सकेंगे।
5.12 फोन पर शिकायत का निराकरण न होने पर या शिकायत गम्भीर होने पर बेशक, इसे लिखित रूप में दर्ज कर दोनों पक्षों को सतर्कता अदालत में बुलाया जायेगा।
5.13 भविष्य में, (जब भ्रष्टाचार का बोल-बाला कम हो जायेगा और इसे नागरिकों की मौन सहमति मिलनी बन्द हो जायेगी, तब नागरिकों के ‘अधिकारों’ की रक्षा करने वाले ये सतर्कता मजिस्ट्रेट) नागरिकों को उनके ‘कर्तव्यों’ की भी याद दिलायेंगे; अर्थात् नागरिक कर्तव्यों को तोड़ने वालों (मसलन, सड़क पर कचरा डालने/थूकने वाले) को भी इन सतर्कता अदालतों में पेश किया जा सकेगा।
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